युवा गौरव । संवाददाता
कानपुर। कानपुर विकास प्राधिकरण मे न जाने ऐसे कितने कर्मचारी है, जिनकी तैनाती कहीं और है, और कार्य कहीं और कर रहे है। जिसकी जानकारी संबन्धित अधिकारियों को है। लेकिन कर्मचारियों की रसूख के आगे अधिकारियों ने अपने हथियार डाल दिये है। और कर्मचारी अपने अपने मनमुताबिक सीटों पर कब्जा किए हुये है। और मनमाने तरीके से अधिकारियों को गुमराह करके कार्य कर रहे है। और आवंटियों को अपनी धौंस दिखाकर सैकड़ों चक्कर काटने के लिए मजबूर करते है। और फिर वसूली करते है।
ऐसा करते हुये एक दिन, माह या वर्ष नहीं, बल्कि दसियों वर्षों से ऐसा ही चल रहा है। और अधिकारी उन्हे उनकी सीट से हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। उनका स्थानांतरण तो होता है। लेकिन सीट नहीं बदलती है। बल्कि केवल और केवल कागजों मे स्थान परिवर्तन होता रहता है। ताकि उठने वाली आवाजों को दबाया जा सके। और कर्मचारी अपना रुतबा एवं सीट बरकरार बनाए रखें। और अधिकारियों के संरक्षण से ऐसा कर पाने मे कर्मचारी सफल भी होते चले आए है। इसमे अधिकारियों का पूरा संरक्षण बना रहता है।
यही कर्मचारी केडीए की कामधेनु माने जाते है। जिनकी तैनाती कहीं और, कमाई कहीं और। इनकी कमाई मे ओएस से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों का लेनादेना शामिल रहता है। और यही कारण है कि इन कर्मचारियों पर अधिकारियों का खुला संरक्षण रहता है। और जिसकी जहां मर्जी है,वह वहीं काम करता है। लेकिन कागजों मे तैनाती कहीं और रहती है। ऐसे एक नहीं बल्कि एक सैकड़ा कर्मचारी है, जिनकी तैनाती कहीं और है, और सीट किसी और जगह पर कब्जा है। जिससे न तो उन कर्मचारियों पर कोई ज़िम्मेदारी है, और न ही कोई अन्य प्रकार का रिस्क।
योगी सरकार द्वारा लगभग 10 माह केडीए उपाध्यक्ष की सीट खाली रखने के बाद कानपुर देहात के जिलाधिकारी को केडीए उपाध्यक्ष की सीट पर तैनाती दी है। उम्मीद की जा रही है, कि कानपुर विकास प्राधिकरण मे चल रही मनमानी की रफ्तार पर ब्रेक लगेंगे। और कर्मचारियों की कार्यशैली मे परिवर्तन आएगा। आवंटियों को राहत मिलेगी। वहीं यह भी माना जा रहा है कि वर्तमान उपाध्यक्ष को प्रशासनिक नौकरी का एक लंबा अनुभव है, जिसके चलते केडीए मे कर्मचारियों द्वारा मनमानी सीट पर चलाया जा रहा सिक्का भी छिनेगा। और नियमानुसार केडीए मे कार्यवाही अपनाई जा सकेगी।